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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड बावीसावा (१७९२-९३)

                                                                                लेखांक २५.                                             १७१४ मार्गशीर्ष शुद्ध ३.

राजश्रियाविराजित राजमान्य राजश्री राधाजीपंत व जयरामपंत देशपांडे ता मानूर स्वामीचे सेवेसी-

पो गोविंदराव कृष्ण सां नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीयें लिा जावें विशेष वेदशास्त्रसंपन्न राजेश्री भगवंतभट बिन दयारामभट चंद्रात्रे अंतापूरकर वास्तव्य नासिक यांस ता मार येथील सायेरावर रोज आठ आणे शमषुल-उमरा बाहादूर यांणीं पुत्रपौत्रादि वंशपरंपरा सनद करून दिल्ही आहे त्याप्रो सालगुदस्त रोजाचा ऐवज यांस पावला पुढें दरसाल सदरहूप्रो रोजाचा ऐवज पावता करावा भोगवट्याकरितां तुह्मी आपलें पत्र यांचें नांवाचें करून द्यावें यांचें अगत्य आह्मास में तुह्मांस माहित आहेच त्यापक्षीं विस्तारें लिहिणे न लगे अगत्य धरून रोजाचा ऐवज दिकत न घेतां पावता करीत जावा व भोगवट्यास पत्र करून द्यावें रा छ २ राखर बहुत काय लिहिणे लोभ कीजे हे विनंति.