लेखांक ४५ श्री १६४८ आषाढ शुध्द ९
स्वस्ति श्रीराज्याभिषेक शके ५३ पराभव संवछरे आशाढ सुध ९ नवमी इंदुवासरे क्षत्रियकुळावतंस श्रीराजा शाहू छत्रपति स्वामी याणी राजश्री देशाधिकारी व लेखक वर्तमान व भावी प्रात सुपेबारामती यासि आज्ञा केली ऐसी जे माहादाजी बिन संभाजी इ॥ बावाजी काटे देशमुख प्रा। मा।र याजवर हुजूर याचा भाऊ धर्मोजी वा। मानसिंग इ॥ सामराज काटे देशमुख प्रा। मा।र फिर्याद जाले की आपले घर वडील आपले मूळपुरुष बावाजी काटे त्याचे वडील लेक धर्मोजी काटे व धाकटे संभाजी काटे हे उभयता श्रीरंगपट्टणी दौलता करून होते वतनावर गुमास्ता अंताजी होता व मनसूरखान होता त्यास कसबे सुपे एथील मोकदमानीं विजापुरीं पातशाहाचे दरबारी फिर्याद केली की पा। सुपेबारामती एथील देशमुखीचे वतन आपले आहे हे वर्तमान हरदू गुमास्तेयानीं धर्मोजी काटे यासि लिहिले तेव्हा धर्मोजी काटे बोलिले की हाती काठी धरून आपण वाद सांगावा की काय तेव्हा संभाजी काटे बोलिले जे वतन थोर आहे जाऊ देऊ नये असे ह्मणून संभाजी काटे विजापुरास एऊन वाद सागून वतन राखिले इ. इ. इ.
वतन संपादण्यास खर्च पडला तो संभाजी काटे यानें दिल्हा बिता।
कित्ता खर्च होन | कित्ता खर्च होन | ||
१००० | परवाना इदलशा पातशा। | २५०० | सनद माहाराज राजाराम साहेब |
१००० | परवाना माहाराज राजश्री शाहाजीराजे साहेब | ४५०० | सनद माहाराज शाहूजी राजे मुकाम चंदनवंदनगड |
१००० | परवाना आतशखान | १४०० | राजश्री शंकराजी पंडित सचिव |
१००० | परवाना माहाराज राजश्री सीवाजी राजे | १८५० | सनद मकरमतखान |
५० | दरबारखर्च सोयरी बाईस दिल्हे | २००० | सनद मिर्जा राजा |
३०० | संकराजीराम सुभेदार | १५०० | सनद राजा भोज |
-------- | १२०० | सनद अनसोजी घाटगे | |
४३५० | २०० | औरंगजेब पातशा | |
५५० | सिंगमण किलेदार पा। सुपे | ||
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१५७०० | |||
साधनाचे कागदपत्र बिता। सदन बामोहर माहाराज राजश्री शाहाजी राजे |
खुर्द खत बनाम संभाजी मोहिते हवालदार पा। सुपे याचे नावे बमोहर माहाराज राजश्री शाहाजी राजे |