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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तेरावा (थोरले माधवराव)

                                                                 पत्रांक ५५. 

स. १७६७ ता ३१ आक्टोबर.                                                श्री.                                                  कार्तिक शुद्ध ४ शके १६८९

राजश्री सखारामपंत बापू गोसावी यांसि
सकल-गुणालंकरण-अखंडित-लक्ष्मी-अलंकृत राजमान्य श्रे॥ महादजी शिंदे दंडवत. विनंति उपरी. येथील कुशल जाणून स्वकिय कुशल लिहित जावें. विशेष आह्मां-कडील बोलणें पेशजी जे गृहस्थ आपणासी बोलत होते त्या गोष्टी झाडून खोट्या आहेत. आमचें बोलणें तें राजश्री चिंतो विट्ठल आपणासी व श्रीमंतासी बोलतील तें प्रमाण. त्या बोलण्यांत आह्मीं आहों. जो बंदोबस्त करणार तो मशारनिलेच्या विद्यमानें करावा.*बहुत काय लिहिणें लोभाची वृद्धी करावी हे विनंति.