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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तेरावा (थोरले माधवराव)

                                                                                               पत्रांक ९८.

१७६८ ता. ४ मे.                                                                श्री.                                                      १६९० वैशाख वद्य २.

सेवेसी चिंतो विठल सां नमस्कार विज्ञापना. ता। छ १६ जिल्हेज पर्यंत येथास्थीत असे. विशेष. रो त्रिंबकपंत व नानाजीपंत यांचें कुलकर्ण मौजे सिनोली तो घोडें येथील आहे. त्यास नानाजीपंताचे पुत्रानें रो मोरोपंत गोळे याचें कर्ज होतें. त्यास कुलकर्ण कर्जाचे ऐवजी लिहून दिल्हें. मोरोपंत यांणीं संध (संधि) पाहून कर्जाकरितां निकड करून, बसऊन, सा-या वतनाचा दागद करून घेतला. त्यास नानाजीपंताचे पुत्रानें निमें वतन देणें तरी द्यावें. त्रिंबकपंताचे वांटणीचें द्यावयासी समंध नाहीं. येविसीचें वाजवी वर्तमान मनास आणून विल्हेस लावावें म्हणऊन श्रीमंतांनीं आपणास पत्र लिहिलें आहे. त्यास आपण वर्तमान मनास आणून वाजवीचे रीतीनें विल्हेस लाविलें पाहिजे, बहुत काय लिहिणें ? सेवेसी निवेदन होय हे विनंती.