पत्रांक ४१४
श्रीरामजी. १७१८ कार्तिक.
श्रीमद्वलभकुलभूषणेषु हरीभक्तिपरायणेषु श्रीगोस्वामी श्रीगिरिधारीजी महाराज एते श्रीमहाराजाधिराज श्रीमाहाराजा आलीजाह सुवेदारजी श्रीदौलतराव सिंदेके दंडवत. वांच्य इहांके स्मांचार श्री-जीके कुपासु भले हैं. आपके सदा भले चाहिजै. अपरंच पत्र आपकों आपो. स्माचार वांच्या. आपने श्रीजीका प्रसाद वा प्रसादीवस्त्र उपाध्याय प्रद्युम्नजीके साथ पठवाया सो पोहच्यां. और सेवासंमंधी उपाध्याय–मुसारनिल्हेके कहेमाफक ईहासों ताकीदपत्र उगैरेह बंदोबस्त करवाय दीया हैं. संस्थानसो कोईका षलस न होगा. पत्र स्माचार हमेसा लीषत रहेंगे.