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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड सहावा (१८ वे शतक)
[ ३०७ ]
श्री शके १६७६ भाद्रपद शुद्ध १०
नकल.
राजश्री दामोधर माहादेव व राजश्री पुरुषोत्तम माहादेव गोसावी यांसः--
अखंडितलक्ष्मीअलंकृत राजमान्य स्नो।
मलारजी होळकर दंडवत विनंति सु॥ खमस खमसैन मया अलफ. ****दमूर्ति राजश्री सर्वसुख दुबे जोशी, ब्राह्मण कनोज, वास्तव्य कनोज, यांस प्रा। मजकूर ऐवजी दररोज रुपये १ एक धर्मादाव पेशजी चालत आला त्याप्रमाणें हाली करार करून सनद तुह्मांस सादर केली असे. तरी दुबेमजकुरास दररोज रुपया एक प्रा। मजकूरऐवजीं पेशजीप्रमाणें ****वणें. नवीन पत्राचा आक्षेप न करणें. या पत्राची नकल घेऊन अस्सल पत्र भटजीमजकूराकडे भोगवटियास देणें. रा। छ. ८ जिलकाद. बहुत काय लिहिणें ? हे विनंति.