Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[९]                                                                              श्री                                                                   १ जुलै १७४०      

                                                                   श्रीमत् महाराजश्री परमहंस बावा स्वामीचें सेवेशी.

चरणरज मल्हार तुकदेऊ. कृतानेक सा॥ नमस्कार. विनंति. येथील कुशल त॥ छ १७ र॥ खर पर्यंत स्वामीच्या आशीर्वादें सुखरूप असो. विशेष. स्वामींनी सोमाजीबरोबर आशीर्वादपत्र पाठविलें तें पावलें. पत्रीं आज्ञा केली कीं, श्रीमंत आप्पास बरें वाटत नाहीं, ह्मणून वर्तमान आईकतों. तरी पत्र पाठऊन त्याकडील उत्तर आणवून आह्मांस लिहून पाठवणें ह्मणून आज्ञा केली. त्यावरून स्वामीच्या पत्राची नक्कल करून आह्मीं आपलें पत्र देऊन पुण्यास मुजरद जासूद पाठविला आहे. त्याचें उत्तर आलें ह्मणजे स्वामीस लिहून पाठवितो. स्वामींनी नारिंगें सु॥ ६ व फणसाचें रोप व रामफळाचें रोप पाठविलें तें पावलें. बहुत समाधान जाहलें. स्वामीच्या पत्रापूर्वी जासूद पुणियास गेले आहेत. तिकडून संतोषाचें वर्तमान येईल तें स्वामीचे सेवेशी लिहून पाठवून विदित जालें पाहिजे. सेवेशी श्रुत होय हे विज्ञापना.