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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४८०]                                                                        श्री.                                                                        १० मे १७५६.

स्वामीजींचे सेवेसी साष्टांग नमस्कार विनंति उपरि. देवाजीपंत वकिलांचे पत्र छ १० शाबानीचें सोमवारी आलें कीं फिरंगियांस आज्ञा दिधली कीं आपले फुलचारीस जाणें. त्यास अति निकट करून काहाडलें. फिरंगी कूच करून मल्हारजी होळकरापाशीं उतरलें. मल्हारजी होळकर लग्नासाठी पंतप्रधानापासून रुखसत जाले. एक दोन दिवस राहून, फिरंगियांस चार पांच मजला पाववून मग मल्हार होळकर कूच करून लग्नासाठी देशास जातील. आपणास कळावें ह्मणाने आज्ञेप्रमाणें लिहिलें असे. आपणास अवकाश जालिया आज अथवा उद्या आपणहि यजमानाच्या भेटीस यावें. सविस्तर समक्ष विदित होईल. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति.