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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४०८]                                                                       श्री.                                                              २१ सप्टेंबर १७५२.

पौ भाद्रपद शुध्द १३ गुरुवार
शके १६७४.

वो राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराऊ प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीयकुशल लिहित असिलें पाहिजे. आपण पैठणास यावें.आह्मी पांचा साता रोजीं गंगातीरास येऊं, तेथें भेट होईल. कळावें. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति.

 

 

[४०९]                                                                       श्री.                                                              २३ सप्टेंबर १७५२.

पौ भाद्रपद वद्य ३ सोमवार शके १६७४.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय कुशल लिहित असावें. विशेष. रायसधारीलाल यांचे अर्जी नबाबाचे जनाबेद पाठविली होती, ते नबाबाकडे रवाना केली. तिचा जाब आला तो इनायतनामा पाठविला आहे. प्रविष्ट करणें. यास उपरि तुमचे विचारांत जे जे अमीर असतील, त्या सर्वांस सांगून नबाबाचे मुलाजमतीस पाठवून देणें. नबाब फर्दापूरच्या घांटावर आलेयावर सर्वांही नम्र व्हावें. एकनिष्ठेनें हाजीर व्हावें. कोतवालास वगैरे, जे जे आहेत त्यांस, सांगणें सांगावें. आह्मीं चहूं दिवसां गंगातीरास येतों. तेथील अधिकारी यांणीं पुढें जाऊन भेटणें उचित. बऱ्हाणपुरकरासारखें कोपास जाईल, मग गोड करून घ्यावें, ऐसें न करावें, हें उत्तम. तुह्मीं अंतस्थें सूचना करणें. छ १४ जिल्काद. हे विनंति.