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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[३६७]                                                                       श्री.                                                              

श्रीमत्परमहंस श्री स्वामीचे सेवेसी :-
चरणरज बाजीराव बल्लाळ प्रधान कृतानेक विज्ञापना. येथील कुशल श्रीकृपें त॥ श्रावण वद्य त्रयोदशी यथास्थित असे. विशेष. श्रीकारणें व स्वामीकारणें वस्त्रें पाठविली आहेत.बि॥

दुपट्टे कुसुंबी, दुपट्टा चांदणी, दुलई.
       २               १              १
येणेंप्रमाणें पाठविली असेत. प्रविष्ट जाहाल्याचें उत्तर पाठविलें पाहिजे. सेवेसी श्रुत होय हे विज्ञापना.



[३६८]                                                                       श्री.                                                              

श्रीमत् तीर्थस्वरूप परमहंसबावा स्वामी वडिलांचे सेवेसी :-
अपत्यें विसाजीराम चरणावरी मस्तक ठेवून विज्ञापना. स्वामीचे कृपेकरून वर्तमान कुशल असे. विशेष. स्वामीचे सेवेसी निगडेल वजन खरें 248 4 विकत घेऊन पाठविलें आहे. घेतलें पाहिजे. आपण स्वामीचा चरणरज आहे. जे होणें जाणें ते स्वामीचे आशीर्वादें होईल. सर्व कारभार मनसबा स्वामीचा आहे. सर्वदां आशीर्वाद देऊन कल्याण करणार श्रीचा व आपला आशीर्वाद आहे. बहुत ल्याहावें तों स्वामी सर्वज्ञ आहेत. हे विज्ञापना.