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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड पंधरावा (शिवकालीन घराणी)
लेखांक ४३९
१५७५ आश्विन शुध्द २
तालीक
अज रख्तखाने राजश्री सीवाजी राजे साहेबु दामदौलतहू बजानेबु कारकुनानि पा। चाकण बिदानद सु॥ अर्बा खमसैन अलफु बाबदेभट ब्रह्मे व त्रिंबकभट राजगुर का। मा। यास आच्यार्याचे व्रतीचे भाडण होते त्याबदल हरदोजण हुजूर आले त्रिंबकभट राजगुर एणे दिव्य केले तो खोटा जाला त्याचा भाऊ भोजभट राजगुर तो एथे होता तो एथून पळाला आहे तरी भोजभटास दस्त करुनु हुजूर पाठवणे व त्रिंबकभटाची व भोजभटाची माणेस का। मजकुरी आहेती त्यास मोकळ देणे त्यांची कुल वस्तभाव जे असेली ते कैद करुनु जाबिता हुजूर पाठवणे या कामाबदल राणू कमा माहालदार पाठविला असे यास मसाला टके ७॥ साडे सात रास आदा करणे
तेरीख ३० सौवाल