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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड पंधरावा (शिवकालीन घराणी)

                                                                                   लेखांक २३३

                                                                                               श्रीगुरुमूर्तिप्रसन

सकलतीर्थस्वरूपअखंडितगुरुराज प्रसन माहाराज राजश्री जोगींद्रगिरी स्वामी गोसावियासि

बालके नरसो रामाजी देसकुलकर्णी किले पनाले सिरसास्टाग नमस्कार विनंती येथील क्षेम जाणुनु गोसावियानी स्वक्षेम कळ्याण पाठविले पाहिजे त्यावरी माहाराजानी राजश्री            हाती आसीर्वाद सागोन पाठविला तेणेकरिता बहुत सतोश पावलो ते श्री स्वामी जाणे व गोसावियानी निरोप सागोन पाठविला की श्री स्वामीचे नदादीपाकारणे मौजे अबवडे का। बाळाघाट हकपैकी ऐवज करून दिला होता त्यासी गावकरानी अजनु काही दिल्हे नाही ह्मणे तरी त्यासी ताकीद करून रोखा पाठिविला असे गावासी पाठऊन बेमुलाहिजा पैकी त्यापासी घेतला पाहिजे व येविसी आमचे मुतालीक अतो सबाजी का। दावरघाट त्यासी कागद पाठिविला असे तो पावतो करणे आह्मी मागुते त्यास लिहून पाठवितो व स्वामीयानी चौकाल आमचेविसी श्री स्वामीस विनती करून बालकावरी क्रुपाद्रिस्टी पूर्ण करविले पाहिजे स्वामीचे व गोसावियाचे आधारे असो आमचे आठवणेसी अतर पडो ने दीजे क्रुपा निरतर असो दीजे हे विनंति

हे चि समस्त गुरुबालक गोसावियासि नमस्कार व कइलासगिरीस नमस्कार क्रुपा असा दीजे हे विनंती

हे चि भागीर्थीबाई गोसाविणीस नमस्कार क्रुपा असो दीजे विनंति

हे चि राजश्री मनसागीर गोसावियासी नमस्कार क्रुपा असो दीजे विनंति

विनंति लक्ष