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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड चौदावा (खाजगीवाले दफ्तर)

                                                                                                 पत्रांक १३                                                    

पौ छ १३ जमादिलावल                                                    श्रीगणेश                                              कार्तिक शु० १५ शके १६८६                                                 

राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री त्रिंबकराम मामा व तथा गोविंदराव तात्या स्वामीचे सेवेसी
पोष्य त्रिंबक सदाशिव व गोपाळराव गोविंद व मोरो बाबूराव कृतानेक नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल ता। छ १३ जमादिलावल जाणून स्वकीय कुशल लिहीत असले पाहिजे विशेष तुम्हांकडून सांप्रत पत्र येऊन वर्तमान कळत नाहीं ऐसे नसावें सदैव येणारा मनुष्या समागमें पत्र पाठवून कुशल वृत्त लिहून संतोषवीत जावें श्रीमंत राजश्री दादासाहेब प्रस्तुत कोणे स्थलीं आहेत फौज किती जमा जाली इकडे कधी येणार भोसले गायकवाड येतात की नाहीं येविशीचें तथ्य वर्तमान तेथें असेल लिहून पाठवावें इकडील वर्तमान तर श्रीमंतांनीं धारवाडास मोर्चे लाविले पावणेदोन महिने लढाई जाली किल्ल्यांत मिर फैजुल्ला याचा भाऊ दोन हजार माणूस होते आपलेकडील मोर्चे खंदकावर गेल्यावर सुरुंग चालीस लागले जिभी सुरुंगानीं उडविली याखेरीज चार बुरूज उडविले किल्ला मातबर दुहेरी कोट दोन खंदक आंत दारू व गोळी नाशी जाली दाणा पुष्कळे होता दारूगोळीमुळें हायास आले आणि सलुखावर घातलें हत्यार-वस्तु-भावसुद्धां बाहेर काढून दिल्हे छ ११ रोजीं किल्ला फत्ते जाला सरकारचें निशाण चढलें धारवाडांत सरंजाम पोख्ता असता तर आणखी दोन महिने लागते परंतु श्रीमंत दैववान् आंत सरंजाम नाहींसा जाला तेणेंकरून कौल घेऊन ठाणें सरकारांत दिल्हें हैदरनाईकाचे चित्तांत कुमक करण्याची होती परंतु राजश्री विठ्ठलपंत सावनुरांत राजश्री गोपाळराव रास्ते नेहमीं छबिन्यास फौज सुद्धां या मुळें त्यास यावयाचें अवसान आलें नाहीं याउपर तुंगभद्रे पलीकडे जाण्याचा मनसुबा त्यास नदीस उतार नाहीं कार्तिक अखेर उतार होईल त्या उपरि जो मनसुबा होईल तो लिहून पाठऊं बहुत काय लिहिणें लोभ असो दीजे हे विनंति