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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[५८]                                                                                  श्री.                                                                १८ फेब्रुवारी १७०२

                                                                                                                                                                                               शिक्का.

महजर व तारीख छ १ हे सौवाल बहजूर हजीर मज्यालशी प्रांत वाई सरकार नहीसादुर्ग उरूफ पन्हाळा सुभे दारूलजफर विजापूर सुरू सन हजार अकराशें अकरा इसने मया व अलफ.

मर्तबात पना इस.
माईलखान जागीरदार प्र॥
वाई.
राजश्री दत्ताजी केशवजी नाईक पिसाळ
देशमुख प्रांत वाई याणी राजश्री सूर्याजी
फिरंगोजी नाईक पिसाळ देशमुख प्रांत
मजकूर यास लिहून दिल्हा. महजर सहीं.
  शिक्का.
साक्षी निसबत दत्ताजी नाईक.
सौभाग्यवती काशीबाई व
भागीरथीबाई देशमुख प्रांत
मजकूर व केशवजी नाईक
देसाई. नागाजी काळभर सरनोबत.
माहादजी पिसाळ बिरादार
दत्ताजी नाईक. लाडूबाई व त्यांचे
पुत्र पिराजी.
गोत. ... ... ...


शामजी लिंगोजी व गिरमाजी झिंगो देशपांडे प्रांत वाई.

हे मुख्य करून समस्त स्वस्ति श्री शालिवाहन शके १६२३ वृषानाम संवत्सरे फाल्गुन शु॥ ३ बुधवारते दिने राजश्री सूर्याजी फिरंगोजी नाईक पिसाळ देशमुख प्रांत वाई याशी दत्ताजी केशवजी नाईक पिसाळ देशमुख प्रांत मजकूर याणीं लिहून दिल्हा महजर ऐसाजे. परगणे मजकूरची देशमुखी तुमच्या आमच्या वडीलवडिलांची मिराशी पिढी दरपिढी वतन खात असेत. तुमचा आमचा मूळ पुरुष एक. वडिलांची भाकरी एक चालत असतां हजरतजीलसुभांजी दक्षिणेस चाली करून आले. तेही विजापूर व भागानगर दोन्ही पातशाही फत्ते केली. या आण प्रांत मजकुरास ठाणें बैसावयास अमारतपन्हा न्याहारखान गोरी फौजदार पाठविले. तेही प्रांत मजकुरास येऊन ठाणें बैसवून अम्मल पातशाही करूं लागले. तेवक्तीं आह्मांस कमजोर देखोन हुजूर गैर वाका मालूम करून देशमुखीचा परवाना करून घेतला, आण आमच्या वतनास दाखल होऊन वतनाचा अम्मल चालवूं लागले. तेच प्रसंगीं आपण नेणते होता.