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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड एकवीसावा (शिवकालीन घराणी)

लेखाक ३१४
१७२२ श्रावण वा। १

श्री

दी नागेशभट बिन बाजीभट ढवलीकर व बापूचार्य बिन रघुनाथा चार्य घलसासी हे उभयता बाबा श्रीधर नरसीपूरकर यास बहिष्कार असता त्याचे घरी जाऊन भोजन करून आले नतर श्रीपाडुरग येथे आषाढीची समाराधना जाहली तेथे सरकारातून सागितले जे या उभयतास भोजनास सागू नये त्या वरून क्षेत्रस्था कडे येऊन जबानी जाले वृत्त लेहून दिल्हे नतर सरकारचे जप्तीचे रोखे इनामा वर जाहले पुढे याचे प्रकरण प्रायश्चित्त घ्यावे ऐसे ठरले नतर आमचे ग्रामस्थ कोणी बोलू लागले की पचगव्य द्यावे सरकारचे बोलणे जे शास्त्रार्थ निघेल ते प्रायश्चित्त करावे या खाली पधरा दिवस लोटले मग हे उभयता मान्य जाहले की सरकार व शास्त्रार्थ जैसा असेल तैसे करू त्याज वरून श्रावणशु॥ १० स राजश्री भाऊ याज कडे ब्राह्मण नावनिशीवार गेले की प्रायश्चित्ताची परवानगी द्यावी ते समयी हजर ब्राह्मण बितपशील
१ बालकृष्णभट गिजरे                 १ चिमण जोशी
१ नागेशभट बिन सखारामभट       १ तात्या जोशी
दी।। ढवळीकर                          १ नागेश बाजी ढवळीकर
१ तात्या गिजरे                            १ बापूजी रघुनाथ घलसासी
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३                                            ४

येणे प्रमाणे परवानगी मागितली त्यानी उत्तर केले जे सरकारवाड्यात जाऊन कारभारी यास विचारून देऊ मग बाळकृष्णभट गिजरे बोलिले जे आज त्याचे घरी कुलधर्म आहे त्यास जोशी व ग्रामोपाध्ये समागमे घेऊन जावे आणि वाड्यातून परवानगी द्यावी त्या वरून बालकोबा यानी बहिरभट ग्रामउपाध्ये परतु कारभारी त्याची गाठ पडली नाही मग तो माघारा आला त्यास हि पाच दिवस जाहले मग श्रावणवा॥ १ मगळवारी ब्राह्मणमडळी मिळोन परवानगी मागावयास सरकारात गेले त्याची नावनिशी बितपशील

१ बाबादी॥ वळवडे            १ चिमण जोशी
१ तात्या जोशी                   १ माणिकदी। उब्राणी
१ नरसिहाचार्य टोणपे          १ रामाचार्य शर्मिष्ठा
१ आपादी।। क्षीरसागर        १ बालभट गिजरे
१ बालभट वैद्य                   १ मोरभट ग्रामउपाध्ये
१ महिपतभट गिजरे            १ विठल महिपत जोशी
१ नारायणभट टोणपे           २ प्रायश्चित्ताचे
१ तात्या गिजरे                   १ नागो ढवळीकर
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१४                                ----
                                     २
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१६

येणे प्रमाणे सरकारचे कचेरीस जाऊन राजश्री मोरोपंतभाऊ व सदाशिवपत फडणीस व लक्ष्मणपंत व बापूरुद्र आणखी मडळी होती त्यांनी सागितलें जे पाचसात जण एकी कडे त्याज वरून बितपशील
१ बाबा वलवडे              १ चिमणजोशी
१ नरसिहाचार्य टोणपे      १ आपा दीक्षित
१ मोरभट ग्रामउपाध्ये     १ विठल महीपत जोशी
१ रामाचार्य घलसासी      १ तात्या गिजरे

येणे प्रमाणे जाऊन त्याची आमची बोलणी बहुत जाहली पंचगव्य द्यावे त्याचे बोलणे शास्त्रार्थ जो निघेल त्या प्रमाणे करणे मग दर असामीस एक एक कुछ सागितले मग जोशी व ग्रामउपाध्ये यास सागितले त्याणी क्षौर करून पचगव्य दिल्हे मिति शके १७२२ श्रावणकृष्ण १ मंगलवार